यहाँ ख़ुद से तो यारो दग़ा कोई नहीं करता नहीं कोई आपसा पत्थर सब दिल अपना भी है रोता वो मंजिल ही नहीं तेरी है तू जिसके लिए भागे ऐसी रीत नहीं

Hindi कोई महसूस नहीं करता Poems